प्रदेश में पेयजल किल्लत से हाहाकार- सुनो सरकार

प्रदेश में पेयजल किल्लत से हाहाकार- सुनो सरकार

01 मई, 2022 प्रदेश में पेयजल किल्लत से हाहाकार-सुनो सरकार….हजारों करोड़ की पेयजल योजनाएं तो बना दी, लेकिन पानी कहां है…… प्रदेश की 79 फीसदी आबादी जूझ रही है पेयजल किल्लत से पिछले साल गर्मी के दौरान 117 शहरों में थी पेयजल की समस्या इस बार गर्मी में 150 शहर झेल रहे हैं पेयजल किल्लत

01 मई, 2022

प्रदेश में पेयजल किल्लत से हाहाकार-सुनो सरकार….
हजारों करोड़ की पेयजल योजनाएं तो बना दी, लेकिन पानी कहां है……

  • प्रदेश की 79 फीसदी आबादी जूझ रही है पेयजल किल्लत से
  • पिछले साल गर्मी के दौरान 117 शहरों में थी पेयजल की समस्या
  • इस बार गर्मी में 150 शहर झेल रहे हैं पेयजल किल्लत की मार
  • गर्मी के दौरान शहरों से ज्यादा गांवों में बिगड़ रहे हैं पेयजल के हालात
  • पिछले साल गर्मी में 14210 गांव-ढाणियों में थी पेयजल किल्लत
  • इस बार गर्मी में 17893 गांव-ढाणियां पेयजल किल्लत की चपेट में
  • प्रदेश में हर साल पेयजल को लेकर बिगड़ते जा रहे हैं हालात
  • गर्मी आते ही अधिकांश सतही पेयजल योजनाएं तोड़ देती है दम
  • जलदाय विभाग की अधिकांश जिलों में पेयजल सप्लाई के लिए ट्यूबवैलों और टैंकरों पर निर्भर
  • अधूरी-गलत प्लानिंग के चलते पेयजल योजनाएं शुरू होते ही तोड़ने लगी दम
  • आखिर कब तक भ्रष्टाचार और लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेगी जलदाय विभाग की पेयजल योजनाएं ?

जयपुर। राजस्थान वैसे तो सदियों से पानी की कमीं और सूखे की मार झेल रहा है। अपने परम्परागत स्त्रोतों और बरसात का पानी सहेजकर उससे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता आया है, लेकिन पिछले एक दशक से राजस्थान में बरसात की कमीं और परम्परागत स्त्रोतों के खत्म हो जाने से पानी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। राज्य की सरकारों की ओर से प्रदेश की जनता को हजारों करोड़ की पेयजल योजनाओं के सपने दिखाकर वोट बैंक की राजनीति तो कर ली, लेकिन अब इन सपनों के गंभीर परिणाम सामने आने लग गए हैं। प्रदेश में पिछले 15 सालों में 1 लाख करोड़ रूपए की पेयजल योजनाएं स्वीकृत की गई, लेकिन इन पेयजल योजनाओं को पानी कहां से मिलेगा, ये न तो प्रदेश की सरकार ने सोचा और न ही इन योजनाओं को बनाने वाले अधिकारियों-इंजीनियर्स ने, नतीजा आज सामने हैं। प्रदेश में 50 हजार करोड़ की पेयजल योजनाएं तैयार तो हो गई, लेकिन पानी नहीं होने के कारण इन योजनाओं से कोई राहत नहीं मिल रही है। हर साल गर्मी बढ़ने के साथ ही प्रदेश में जलदाय विभाग अधिकारियों और इंजीनियर्स को अग्नि परीक्षा की तरह बड़ी चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इस बार भी गर्मियों में पेयजल की सप्लाई करने में विभाग के इंजीनियर्स के पसीने छूट रहे हैं। प्रदेश में पिछले साल मानसून की कमीं और बांधों में पानी की कम आवक के चलते पेयजल संकट के हालात बन गए हैं। पिछले 10 सालों में जलदाय विभाग की ओर से प्रदेश में पेयजल किल्लत के हालात सुधारने के लिए 57 हजार करोड़ की पेयजल योजनाएं स्वीकृत की है, लेकिन पेयजल समस्याओं का समाधान होने की बजाए हालात दिनों दिन और ज्यादा खराब होते जा रहे हैं। प्रदेश के 150 शहर और 17 हजार 893 गांव-ढाणियां पेयजल किल्लत की चपेट में हैं। गर्मी के दौरान अप्रेल से जुलाई महिने में इन शहरों और गांव-ढाणियों में पेयजल की सप्लाई करना जलदाय विभाग इंजीनियर्स के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। प्रदेश में गर्मी चरम पर पहुंच गई है, जिसके चलते पेयजल की मांग भी 30 से 40 फीसदी तक बढ़ गई है, वहीं पेयजल की उपलब्धता में 40 से 50 फीसदी की कमीं हो गई है। ऐसे में लोगों की पेयजल की आवश्यताओं की पूर्ति करने में जलदाय विभाग अधिकारियों के पसीने छूट रहे हैं। बीसलपुर बांध से जुड़े 23 शहरों और साढ़े 3 हजार से ज्यादा गांवों में पानी की कटौती कर लोगों को मानसून आने तक पानी पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई में 40 से 70 फीसदी की कटौती की जा रही है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 5 से 10 दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई की जा रही है। बीसलपुर बांध में वर्तमान में जो, पानी है उसमें कटौती करने के बाद भी मुश्किल से जून-जुलाई तक जयपुर, अजमेर और टोंक जिले में पानी सप्लाई किया जा सकेगा। मानसून जल्दी नहीं आया तो इन तीन जिलों में पेयजल संकट के हालात खड़े होना तय है। इससे पहले वर्ष 2010 में भी बीसलपुर बांध में पानी खत्म हो गया था और जून-जुलाई में जयपुर और अजमेर जिले में पेयजल का भयंकर संकट खड़ा हो गया था। इस बार भी बीसलपुर बांध में पानी की कमीं के चलते 2010 जैसे हालात बन सकते हैं। जलदाय विभाग इंजीनियर्स की अधूरी और अदूरदर्शी प्लानिंग के चलते हजारों करोड़ रूपए खर्च कर तैयार की गई पेयजल योजनाएं एक बांध के सूखने से फेल हो गई है। प्रदेश में ऐसे ही हालात जवाई बांध, मेजा बांध से जुड़ी पेयजल योजनाओं के हैं, जो बांध के सूखने के साथ ही दम तोड़ जाती है। प्रदेश के जयपुर, अजमेर, टोंक, सवाईमाधोपुर, दौसा, अलवर, सीकर, झुंझुनूं, चूरू, भरतपुर, करौली जिले की पेयजल सप्लाई हजारों करोड़ की परियोजनाएं शुरू करने के बाद भी ट्यूबवैलों पर निर्भर है। जलदाय विभाग की 50 हजार करोड़ से ज्यादा की पेयजल परियोजनाएं या तो अधूरी प्लानिंग या फिर भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते शुरू होने के साथ दम तोड़ने लगी है। इसी का नतीजा है कि पिछले डेढ़ दशक में प्रदेश में 70 हजार करोड़ रूपए पेयजल योजनाओं पर खर्च करने के बाद भी प्रदेश में पेयजल के हालात सुधरने की बजाए लगातार खराब होते जा रहे हैं।

150 शहरों में पेयजल किल्लत, टैंकरों से भी नहीं बुझ रही लोगों की प्यास प्रदेश में गर्मी के दौरान 222 में से 150 शहर पेयजल किल्लत से जूझ रहे हैं। इन शहरों में पेयजल किल्लत की समस्या को देखते हुए जलदाय विभाग की ओर से टैंकरों से पेयजल परिवहन के लिए 115.80 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है। गर्मी के दौरान अप्रेल से जुलाई माह तक जलदाय विभाग द्वारा पेयजल समस्याग्रस्त क्षेत्रों में टैंकरों से पेयजल का परिवहन कर आमजन को राहत पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन विभाग का यह प्रयास ऊंट के मुंह में जीरा के समान साबित हो रहा है। प्रदेश में गर्मी 50 डिग्री के आसपास पहुंच गई है और गर्मी के चलते पेयजल किल्लत की समस्या तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में जलदाय विभाग की ओर से की जा रही टैंकरों से पेयजल की सप्लाई लोगों को राहत तो दे रही है, लेकिन लोगों को अपनी आवश्यकताओं का पानी नहीं मिल पा रहा है। गर्मी में टैंकरों से पेयजल परिवहन के लिए जलदाय विभाग की ओर से 31.85 करोड़ रूपए की वित्तीय स्वीकृति जारी गई है। प्रदेश के शहरी क्षेत्र में पेयजल योजनाओं पर जलदाय विभाग की ओर से हजारों करोड़ रूपए खर्च करने के बाद भी पेयजल के हालात सुधरने की बजाए गहराते जा रहे हैं। वैसे तो प्रदेश में पूरे साल ही पेयजल किल्लत की समस्या बनीं रहती है, लेकिन गर्मियां शुरू होने के साथ ही पेयजल किल्लत की मार बढ़ती जाती है, जो जून-जुलाई में चरम पर पहुंच जाती है, जिसके चलते लोगों को पेयजल के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है। पिछले साल गर्मी के दौरान प्रदेश के 117 शहरों में पेयजल किल्लत की समस्या को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल परिवहन के लिए 86.69 करोड़ तथा शहरी क्षेत्रों में पेयजल परिवहन के लिए 29.11 करोड़ की वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है। एक साल में हालात सुधरे नहीं बल्कि और भी ज्यादा खराब हो गए और पेयजल किल्लत की मार 150 शहरों तक पहुंच गई है।

प्रदेश के 17893 गांव-ढाणियों में पेयजल किल्लत की मार

प्रदेश के शहरी क्षेत्रों से ज्यादा पेयजल किल्लत की मार ग्रामीण क्षेत्रों में है। प्रदेश के 17893 गांव-ढाणियों में गर्मियों के दौरान ज्यादा मारामारी हो रही है। 8161 गांवों और 9732 ढाणियों में पेयजल किल्लत की समस्या को देखते हुए जलदाय विभाग की ओर से गर्मियों के दौरान टैंकरों से पेयजल परिवहन किया जा रहा है, लेकिन गर्मी के तीखे तेवरों के आगे जलदाय विभाग की टैंकरों से की जा रही पेयजल कि सप्लाई से राहत का पानीनहीं मिल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल कि समस्या को देखते हुए जलदाय विभाग की ओर से टैंकरों से पेयजल परिवहन के लिए 86.69 करोड़ रूपए की स्वीकृति जारी की गई है। मानसून की कमीं के चलते प्रदेश के 9 जिलों को सूखा प्रभावित जिले घोषित किए गए हैं, जिनमें बीकानेर, बाड़मेर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, जोधपुर, पाली, चूरू और नागौर जिले शामिल है। इसके अलावा जयपुर, दौसा, सवाईमाधोपुर, करौली, भरतपुर, अलवर और टोंक जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी पेयजल किल्लत की गंभीर समस्या बनीं हुई है। बीसलपुर बांध और चंबल नदी से जुड़ी हजारों करोड़ की पेयजल योजनाएं शुरू होने के बाद भी इन जिलों में पेयजल के हालात लगातार गहराते जा रहे हैं। पिछले साल गर्मियों के दौरान प्रदेश के 14210 गांवों में टैंकरों से पेयजल परिवहन किया गया था, लेकिन इस बार हालात और भी ज्यादा खराब हो गए हैं और पेयजल समस्याग्रस्त गांव-ढाणियों का आंकड़ा बढ़कर 17893 पहुंच गया है।

राजधानी में पेयजल सप्लाई के लिए ट्यूबवैलों बनें ’संकटमोचक’

बीसलपुर बांध में पानी की कमीं को देखते हुए राजधानी जयपुर में गर्मियों में पेयजल किल्लत की समस्या से बचने के लिए जलदाय विभाग के लिए 2500 पुराने और नए ट्यूबवैल की संकटमोचक बने हुए हैं। जलदाय विभाग की ओर से अधिकारियों को जयपुर शहर में पुराने बंद पड़े करीब 268 ट्यूबवैलों को चालू करने के अलावा 280 नए ट्यूबवैल स्वीकृत किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि राजधानी जयपुर में बीसलपुर बांध से पानी की कटौती के चलते सर्दियों में तो इतनी मारामारी नहीं रही, लेकिन अप्रेल और मई की गर्मी ने जलदाय विभाग इंजीनियर्स के पसीने छुड़ा दिए हैं। मई माह में पेयजल की मांग में 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई थी, जो जून-जुलाई में 35 से 40 फीसदी तक पहुंच जाएगी। जलदाय विभाग द्वारा वर्तमान में करीब 52 करोड़ लीटर पानी रोजाना राजधानी में सप्लाई किया जा रहा है, जिसमें से 36 करोड़ लीटर पानी बीसलपुर बांध और 16 करोड़ लीटर पानी ट्यूबवैलों से सप्लाई किया जा रहा है। शहर में रोजाना 70 करोड़ लीटर पानी की आवश्यता है, लेकिन बीसलपुर बांध में पानी की कमीं के चलते विभाग रोजाना मुश्किल से 52 करोड़ लीटर पानी की सप्लाई कर पा रहा है। राजधानी में 8 साल बाद एक बार फिर ट्यूबवैल जलदाय विभाग इंजीनियर्स के लिए संकटमोचक की तरह काम कर रहे हैं।

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Main Authors

Most Commented

Featured Videos

Categories