करोड़ों लोगों की लाइफलाइन हूं, लेकिन मेरी लाइफलाइन का पता नहीं मैं बीसलपुर बांध बोल रहा हूं

करोड़ों लोगों की लाइफलाइन हूं, लेकिन मेरी लाइफलाइन का पता नहीं मैं बीसलपुर बांध बोल रहा हूं

25 अप्रेल, 2022 करोड़ों लोगों की लाइफलाइन हूं, लेकिन मेरी लाइफलाइन का पता नहीं मैं बीसलपुर बांध बोल रहा हूं……………………… – कहीं मेरे हालात भी तो छोटे भाई रामगढ़ बांध जैसे ही तो नहीं हो जाएंगे – मेरे से पहले रामगढ़ बांध ने 3 दशक तक बुझाई थी जयपुर शहर की प्यास – लेकिन सरकारों

25 अप्रेल, 2022

करोड़ों लोगों की लाइफलाइन हूं, लेकिन मेरी लाइफलाइन का पता नहीं
मैं बीसलपुर बांध बोल रहा हूं………………………

– कहीं मेरे हालात भी तो छोटे भाई रामगढ़ बांध जैसे ही तो नहीं हो जाएंगे
– मेरे से पहले रामगढ़ बांध ने 3 दशक तक बुझाई थी जयपुर शहर की प्यास
– लेकिन सरकारों की बेरूखी और अतिक्रमण की आंधी में दम तोड़ गया रामगढ़ बांध
– रामगढ़ बांध के अंत को खुद अपनी आंखों से देखा है मैंने
– मुझे लाइफलाइन नहीं मिली तो बिगड़ सकते हैं मेरे हालात
– 2051 तक की पेयजल योजनाओं की जिम्मेदारी की तैयारी
– लेकिन चंबल-ब्राह्रमणी से जोड़ने की योजना 5 साल से अधर-झूल
– सरकारों की अनदेखी से बीसलपुर बांध की बढ़ रही है पीड़ा

जयपुर। कभी जयपुर शहर की लाइफलाइन रहे रामगढ़ के सूखने के बाद एक दशक से बीसलपुर बांध जयपुर शहर सहित 3 जिलों के 16 शहरों और 3 हजार गांवों की लाइफलाइन तो बन गया, लेकिन राज्य की सरकारों की अनदेखी और मानसून की कमीं के चलते अब बीसलपुर बांध के अस्तित्व पर भी संकट मंडराने लग गया है। यही हालात रहे तो बीसलपुर बांध के भी वहीं हालात हो जाएंगे, जो आज रामगढ़ बांध के हो गए हैं। जयपुर, अजमेर और टोंक जिले की लाइफलाइन बन चुका बीसलपुर बांध सरकारों की बेरूखी और मानसून की कमीं के चलते अपने एक बार फिर सूखने के कगार पर पहुंच गया है। बांध में अपनी कुल भराव क्षमता का 13 प्रतिशत पानी बचा है, जो आगामी मई-जून के महिनों में तक सूख जाएगा। बीसलपुर बांध तो कभी का सूख जाता, यदि जलदाय विभाग की ओर से बांध से पानी की सप्लाई में कटौती नहीं की जाती तो। जलदाय विभाग की ओर से बीसलपुर बांध से पिछले साल की तुलना में वर्तमान में मात्र 34 प्रतिशत पानी ही रोजाना लिया जा रहा है। अजमेर से शहर में बांध से 72 घंटे में एक बार पानी की सप्लाई की जा रही है, वहीं जयपुर शहर के लिए बांध से 60 फीसदी ही पानी लिया जा रहा है। टोंक जिले में भी बांध के पानी से एक चैथाई ही पानी की सप्लाई की जा रही है, लेकिन फिर भी बांध धीरे-धीरे सूखता जा रहा है। जून माह तक बीसलपुर बांध के हालात जून-2010 जैसे पहुंचने के करीब है। आईए आप खुद ही सुन लिजिए बीसलपुर बांध की जुबां से उसके जन्म से आज तक के सफर की कहानी……

मैं बीसलपुरबांधबोल रहा हूं………………….

मेरे जीवर की आधारशिला 1985 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर एवं सिंचाई मंत्री परसराम मदेरणा के हाथों रखी गई थी। मेरा निर्माण कार्य 1987 में शुरू हुआ था और एक ही चरण में पीसीपीएल कंपनी ने किया। मेरा निर्माण कार्य 825 करोड़ रूपए की लागत से हुआ और मैं 1996 में पूरी तरह बनकर तैयार हुआ। मेरी कुल भराव क्षमता 315.50 मीटर है, जिसमें 38.70 टीएमसी पानी का भराव होता है। मैं बनने के बाद पहली बार 2004 में खुशी से फूला नहीं समाया था, जब मैं पूरी तरह से भरकर छलक रहा था। मेरे साथ लाखों लोगों की खुशी का भी कोई ठिकाना नहीं था। इसके बाद वर्ष 2006 में भी मैं पूरी तरह से भर गया था और मेरे गेट खोल दिए गए थे। अजमेर से शहर को मैं करीब दो दशक से पानी पिला रहा हूं। फरवरी 2009 का समय मेरे लिए सबसे ज्यादा आनंद का समय था, जब मैंने प्रदेश की राजधानी और पिंकसिटी के नाम से मशहूर शहर लाइफलाइन बनने की तरह पहला कदम रखा। लाखों लोगों की प्यास बुझाकर मुझे बड़ा गर्व हो रहा था, लेकिन अगले ही साल मानूसन की बेरूखी के चलते मैं सूख गया और मेरे अस्तित्व पर सवाल खड़े हो गए और मेरे से जुड़ी करोड़ों की पेयजल योजनाएं भी सवालों के घेरे में आ गई। ये सिर्फ एक प्रकृति का प्रदेश की सरकारों और बड़े नेताओं को एक मैसेज मात्र था, लेकिन करीब एक दशक बाद भी प्रदेश की सरकारों ने सबक नहीं लिया और एक बार फिर वैसे ही हालात होते नजर आ रहे हैं। मेरे से हजारों करोड़ की जयपुर, अजमेर और टोंक जिले के 16 शहरों और करीब 3100 से ज्यादों गांवों की पेयजल सप्लाई जोड़कर मुझ पर इतने सारे लोगों की प्यास बुझाने की जिम्मेदारी तो डाल दी, लेकिन मेरे खुद के अस्तित्व को लेकर कभी गंभीरता से नहीं सोचा गया। कभी ईसरदा से, तो चंबल से और कभी ब्राह्रमणी से मुझे जोड़ने को लेकर फाइलों में करोड़ों रूपए की योजनाएं तो बना ली गई, लेकिन एक दशक में भी ये योजनाएं धरातल पर नहीं ऊतर पाई है। जलदाय विभाग के अधिकारियों और इंजीनियर्स ने मुझे जयपुर, अजमेर और टोंक जिले की न केवल लाइफलाइन बना दिया, बल्कि 2051 तक की पेयजल योजनाओं की जिम्मेदारी भी मेरे कंधों पर डालने की पूरी योजना तैयार कर ली, लेकिन कभी मेरे अस्तित्व और मेरे कंधों पर बढ़ती जिम्मेदारी को बांटने या ये कहें कि मेरी लाइफलाइन को लेकर कभी गंभीरता से नहीं सोचा गया। सरकार में बैठे बड़े अधिकारियों और नेताओं को कभी मेरी गंभीरता से अवगत ही नहीं कराया, जिसके चलते आज मेरे ये हालात खड़े हो गए हैं। मेरी लाइफलाइन की योजनाएं आज भी पाइपलाइन में ही रखी हुई है।

पेयजल के लिए 2051 तक पानी के रिजर्वेशन की तैयारी

जयपुर, अजमेर और टोंक जिले की लाइफलाइन बनने के बाद जलदाय विभाग के अधिकारियों का मेरे पर इतना विश्वास बढ़ गया कि मुझ पर 2051 तक की पेयजल सप्लाई की जिम्मेदारी डालते हुए पानी की रिजर्वेशनकी तैयारी कर ली गई है। जलदाय विभाग की ओर से जलसंसाधन विभाग से 6.9 टीएमसी पानी के अतिरिक्त रिजर्वेशन की मांग रखी गई है। वर्तमान में पेयजल सप्लाई के लिए 16.2 टीएमसी पानी रिजर्व है, जो जयपुर, अजमेर और टोंक जिले की पेयजल योजनाओं के लिए 2022 तक के लिए पर्याप्त है। जलदाय विभाग की ओर से वर्ष 2036 और 2051 तक की आबादी को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्लानिंग बनाई जा रही है। वर्ष 2005 में बीसलपुर बांध में जयपुर जिले की पेयजल व्यवस्था के लिए 11.2 टीएमसी पानी रिजर्व किया गया था। जयपुर को 2009 में बीसलपुर बांध से पानी मिलने लग गया था। वर्तमान में मेरे से 16 शहरों, 3 हजार गांवों को पेयजल सप्लाई किया जा रहा है। इन परियोजनाओं के लिए वर्ष 2022 तक का पर्याप्त पानी रिजर्व है। करीब 2 हजार करोड़ की लागत वाली बीसलपुर-जयपुर वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट-2 सहित जयपुर, अजमेर और टोंक जिले की शहरी और ग्रामीण आबादी को इन योजनाओं से वर्ष 2051 तक पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विभाग ने जलसंसाधन विभाग से बांध के पानी में 6.9 टीएमसी पेयजल के अतिरिक्त रिजर्वेशन की डिमाण्ड रखी है। वर्ष 2036 तक के लिए 4.8 टीएमसी और 2051 तके लिए कुल 6.9 टीएमसी डिमाण्ड की है। ऐसे में बीसलपुर बांध में पानी की रिजर्वेशन 16.2 टीएमसी से बढ़कर पेयजल का रिजर्वेशन 23.10 टीएमसी हो जाएगा।

25 किलोमीटर क्षे़त्र में फैला हुआ है बीसलपुर बांध

बीसलपुर बांध 1996 में पूरी तरह से बनकर तैयार हुआ था। बांध में कुल 18 गेट है जो, 15/14 मीटर साइज में बने हुए हैं। बांध की लंबाई 576 मीटर और समुद्र तल से ऊंचाई 322.50 मीटर है। बांध के कुल जलभराव में 68 गांव डूब क्षेत्र में आते हैं, जिनमें से 25 गांव पूरी तरह और 43 गांव आंशित रूप से डूब क्षेत्र में आते हैं। बांध का जलभराव क्षेत्र 25 किलोमीटर है, जिसमें कुल 21 हजार 30 हैक्टेयर भूमि जलमय होती है। बीसलपुर बांध से टोंक जिले में सिंचाई के लिए दायीं और बायीं नहरों का निर्माण कार्य 2004 में पूर्ण हुआ था। दायीं नहर की कुल लंबाई 51 किलोमीटर है, जबकि बायीं नहर की लंबाई करीब 19 किलोमीटर है। इन नहरों से कुल 82 हजार हैक्टेयर भूमि की सिंचाई होती है। बीसलपुर बांध से वर्ष 2004, 2005, 2006, 2007, 2011 और 2017 तक लगातार सिंचाई के लिए पानी छोड़ा जा चुका है।

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