एसई कार्यालयों में 4 साल में भी स्थापित नहीं हुए कंट्रोल रूम

एसई कार्यालयों में 4 साल में भी स्थापित नहीं हुए कंट्रोल रूम

4 मई 2022 पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम की कैसे होगी मानीटरिंग ? एसई कार्यालयों में 4 साल में भी स्थापित नहीं हुए कंट्रोल रूम – जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव के निर्देशों की भी नहीं हुई पालना – सीई अरबन ने 13 अप्रेल, 2018 को जारी किए थे आदेश – सभी वृत्त कार्यालयों में कंट्रोल

4 मई 2022
पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम की कैसे होगी मानीटरिंग ?

एसई कार्यालयों में 4 साल में भी स्थापित नहीं हुए कंट्रोल रूम
– जलदाय विभाग प्रमुख शासन सचिव के निर्देशों की भी नहीं हुई पालना
– सीई अरबन ने 13 अप्रेल, 2018 को जारी किए थे आदेश
– सभी वृत्त कार्यालयों में कंट्रोल रूम स्थापित करने के साथ ही होनी थी मानीटरिंग
– पेयजल योजनाओं के आपरेशन एण्ड मेंटीनेंस कार्यों की रखनी थी निगरानी
– जिन योजनाओं का संधारण नहीं हो रहा हो, उनके खिलाफ कार्रवाई करने के थे निर्देश
– लेकिन पीएचईडी एसई कार्यालयों आज तक नहीं बने कंट्रोल रूम
– मानीटरिंग नहीं होने से पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम में हो रहा है फर्जीवाड़ा

जयपुर। जलदाय विभाग में आमजन की पेयजल समस्याओं को गंभीरता से लेना तो दूर इंजीनियर्स द्वारा खुद विभाग के प्रमुख शासन सचिव के निर्देशों की 4 साल में भी पालना नहीं की हुई। जलदाय विभाग की पेयजल योजनाओं के आपरेशन एण्ड मेंटीनेंस कार्यों की मानीटरिंग के लिए तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव के निर्देश के बाद मुख्य अभियंता शहरी द्वारा 13 अप्रेल, 2018 को एक आदेश जारी किया गया था, जिसके अनुसार विभाग को वृत्त कार्यालयों में एक कंट्रोल रूम की स्थापना करनी थी, जो पेयजल योजनाओं के आॅपरेशन एण्ड मेंटीनेंस कार्यों की मानीटरिंग करने के साथ ही आमजन, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से टेलीफोन पर जानकारी प्राप्त कर आवश्यक सुधारात्मक कार्यवाही करेंगे। लेकिन मजेदार बात है कि इस आदेश को निकले एक साल होने को है, लेकिन अभी तक जलदाय विभाग के एक भी एसई कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित नहीं हुए हैं। जलदाय विभाग के अधीक्षण अभियंताओं की गंभीरता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे आमजन की पेयजल समस्याओं को लेकर कितने गंभीर हैं। दरअसल जलदाय विभाग मुख्य अभियंता शहरी की ओर से जारी आदेश में एसई कार्यालय में कंट्रोल रूम की स्थापना करने के साथ ही जिले से संबंधित जलापूर्ति की समस्याओं का निस्तारण के निर्देश दिए गए थे। इसके साथ ही जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में चल रही विभिन्न आॅपरेशन एण्ड मेंटीनेंस कार्यों में निविदा शर्तों की पालना करने के साथ उनकी मानीटरिंग की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे। इस कार्य में सभी अधीक्षण अभियंताओं को निर्देश दिए गए थे कि वे अपने क्षेत्र के अधीन सभी आपरेशन एण्ड मेंटीनेंस कार्यों की सूचना एक निर्धारित प्रपत्र में मुख्य अभियंता शहरी कार्यालय को भेजने के साथ ही जिन ओएण्डएम योजनाओं में निविदा शर्तों की पालना नहीं हो रही है उनके खिलाफ करना सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा स्टेट कंट्रोल रूम जयपुर से भी ये सभी जानकारियां एकत्रित की जाएगी और जिला कंट्रोल रूम में उनसे अवगत कराया जाएगा। इन आदेशों की पालना में किसी प्रकार की शिथिलता को गंभीरता से लिया जाएगा। लेकिन एक साल का समय पूरा होने को है और अभी तक कंट्रोल रूम ही स्थापित नहीं हुए है, तो फिर मानीटरिंग कहां से होगी।

– ओएण्डएम योजनाओं में छोटे-बड़े सभी ठेकेदारों का फर्जीवाड़ा
जलदाय विभाग की अधिकांश पेयजल योजनाओं के आपरेशन एण्ड मेंटीनेंस का कार्य ठेके पर है, जिनमें ठेका फर्मों द्वारा जमकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। पेयजल योजनाओं के ओएण्डएम कार्यों में ठेका फर्मों द्वारा न तो पर्याप्त स्टाफ लगाया जाता है और न ही निविदा शर्तों के अनुसार पेयजल सप्लाई योजनाओं की माॅनीटरिंग की जाती है। विभाग की कई पेयजल योजनाओं से जुड़े ट्यूबवैल और पंपहाउसों के पंपसैट कई-कई दिनों तक खराब पड़े रहते हैं, लेकिन ठेका फर्मों द्वारा न तो उन्हें समय पर ठीक कराया जाता है और न ही उनका मेंटीनेंस किया जाता है। उपभोक्ताओं से पेयजल की शिकायतें मिलने के बाद ट्यूबवैलों और पंपहाउसों को संभाला जाता है। इतना ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में तो ट्यूबवैलों की मोटर कई महिनों तक जली पड़ती रहती है और विभाग के इंजीनियर्स मिलीभगत से ठेका फर्मों को भुगतान करते रहते हैं। जलदाय विभाग में फर्जीवाड़े का ये खेल इंजीनियर और ठेका फर्मों की मिलीभगत से चलता है। इस खेल पर लगाम कसने के लिए ही प्रमुख शासन सचिव पीएचईडी की ओर से अप्रेल, 2018 में जलदाय विभाग के सभी वृत्त कार्यालयों में कंट्रोल रूम स्थापित करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उन निदेर्शों की आज तक विभाग के इंजीनियर्स ने पालना नहीं की है।

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